हरीश रावत : अगर कांग्रेसी एक नहीं हुए तो कपड़े में लपेट कर गंगा में फेंक देगी भाजपा

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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हरिद्वार में भाजपा के खिलाफ धरने पर बैठे हैं। हरीश रावत ने मुकदमा वापस न लेने तक थाना परिसर में धरना देने की घोषणा की है।

इस दौरान उन्‍होंने भाजपा सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई बेहद जरूरी है, अगर विपक्ष ने यह लड़ाई नहीं लड़ी तो भाजपा सरकार पूरे विपक्ष को कपड़े में लपेट कर गंगा में बहा देगी। उन्होंने भाजपा सरकार के तानाशाही के विरोध में पूरे राज्य में आम जनता को साथ लेकर आंदोलन की बाच कही।

कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर मुकदमे दर्ज किए

बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भाजपा सरकार की ओर से धांधली का आरोप लगाने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

इन्हें वापस लेने की मांग को लेकर हरिद्वार ग्रामीण विधायक अनुपम रावत के नेतृत्व में कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता बहादराबाद थाना परिसर में बीते दो दिन से धरना दे रहे हैं। धरने के दूसरे दिन शुक्रवार को धरना-प्रदर्शन में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर पंचायत चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया।

धरने पर बैठे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार को सहयोगियों के साथ बहादराबाद थाना परिसर में फैली गंदगी को साफ किया। शुक्रवार को धरने पर बैठे किसानों के पशुओं को थाने में लाने को लेकर प्रदर्शनकारियों और पुलिस में नोकझोंक हुई थी। इसके बाद पशुओं को थाना परिसर में ही बांध दिया गया था।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अंग्रेजों के पिट्ठुओं की पार्टी है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान देने के बजाय उनके नेता अंग्रेजों का साथ दे रहे थे। जब कांग्रेस अंग्रेजों से नहीं डरी, तो उनके पिट्ठुओं से क्या डरेगी।

धरना स्थल पर पशु लाने पर थानाध्यक्ष से झड़प

दुधारु पशुओं को थाना बहादराबाद परिसर में लेकर आने पर थानाध्यक्ष नितेश शर्मा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में झड़प हो गई। इस पर पशुओं को लेकर आए किसान ने कहा कि जब हम यहां धरने पर हैं तो हमारे पशुओं की देखभाल कौन करेगा, जबकि थानाध्यक्ष नितेश शर्मा पशुओं को थाने से बाहर निकालने को कह रहे थे।

इसे लेकर विधायक अनुपमा रावत और थानाध्यक्ष के बीच काफी देर तक नोकझोंक हुई। पुलिस पशुओं को थाना परिसर से बाहर निकालने पर अड़ गई तो धरना दे रहे कांग्रेस कार्यकर्ता इसके खिलाफ हो गए। दोनों पक्षों में इसे लेकर काफी देर तक तनातनी चलती रही, बाद में पशुओं को थाना परिसर में ही बांधने पर विवाद शांत हुआ।