छह महीने तक टल सकते हैं उत्तराखंड में सहकारिता चुनाव, समितियों में अभी तक मतदाता सूची तैयार नहीं

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उत्तराखंड में सहकारिता चुनाव छह महीने तक टल सकते हैं। अधिकतर जिलों की सहकारी समितियों में अभी तक मतदाता सूची तैयार नहीं हुई है।

समितियों के चुनाव में मतदान करने वाले सदस्यों के पंजीकरण की तिथि 25 जुलाई से बढ़ाकर सितंबर तक कर दी गई है।
राज्य की 651 बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों में अधिकतर का कार्यकाल जुलाई में पूरा हो चुका है। समितियों के पुराने बोर्ड को भंग करके प्रशासकों की नियुक्ति हो चुकी है लेकिन अभी तक उत्तराखंड सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण और जिला सहायक निबंधकों के स्तर पर चुनाव को लेकर तैयारी नजर नहीं आ रही। 24 जुलाई को सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने रुद्रपुर स्थित उत्तराखंड राज्य भंडारण निगम के सभागार में नैनीताल और ऊधम सिंह नगर के सहकारिता विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रत्येक सहकारी समिति में 1000-1000 सदस्य बढ़ाने का लक्ष्य दिया था लेकिन किसानों के समितियों में पंजीकरण कराने की गति धीमी है।

जिले में 5243 नए सदस्य ही जुड़े
ऊधम सिंह नगर जिले की बात करें तो यहां की 35 बहुउदेश्यीय सहकारी समितियों में करीब एक माह में 5243 नए सदस्य पंजीकृत हुए हैं। पंजीकरण की गति धीमी होने के कारण सहकारिता चुनाव के पीछे खिसकने की आशंका है। सितंबर तक समितियों में नए पंजीकृत सदस्यों का आंकड़ा 35000 तक पहुंचना है। वर्तमान में ऊधम सिंह नगर में समिति सदस्यों की कुल संख्या 1.21 लाख है। इनमें से 87,712 किसान हैं।

मंत्री बोले-मुझे जानकारी नहीं
राज्य में चुनाव कब होंगे इस बाबत सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि उन्हें सहकारी समितियों के चुनाव को लेकर कोई जानकारी नहीं है। इधर, जिला सहायक निबंधक ऊधम सिंह नगर बीएस मनराल का कहना है कि जिले की 35 समितियों में 28 का कार्यकाल पूरा हो चुका है। पांच समितियों का कार्यकाल पूरा न होने के कारण बोर्ड अभी भंग नहीं हैं। इनका कार्यकाल संभवत: अक्तूबर तक पूरा होगा। जबकि दो समितियों के चुनाव न होने के कारण वहां पहले से ही प्रशासक नियुक्त हैं।

किसान आंदोलन का चुनाव में पड़ सकता असर
सहकारी समितियों के अधिकतर सदस्य किसान हैं। तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध चले किसान आंदोलन के बाद किसानों में सरकार के विरुद्ध रोष है। पांच साल पहले सहकारिता समितियों के चुनाव में भाजपा की जीत हुई थी। राज्य के किसान बहुल जिले ऊधम सिंह नगर में भी भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की थी। सहकारी समितियों के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसानों को सदस्यों के रूप में समितियों से जोड़ना और उन्हें अपने पक्ष में करना सरकार के लिए चुनौती बना हुई।

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