मुख्यमंत्री धामी के निर्देशों के बाद स्कूल वाहन चालकों के लिए बनी गाइडलाइन, चालकों का होगा चरित्र सत्यापन
स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल और यौन उत्पीड़न की शिकायत का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिव परिवहन और पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
दून शहर के डालनवाला में स्कूल वैन में बच्चों के साथ चालक द्वारा यौन उत्पीड़न की घटना के बाद मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश में स्कूल वाहन चालकों व परिचालकों के सत्यापन का निर्देश दिया है। चालकों व परिचालकों का आपराधिक इतिहास जुटाने व उनके चरित्र सत्यापन की जिम्मेदारी पुलिस की होगी।
स्कूल वाहन चालकों के लिए गाइडलाइन
- चालक के पास न्यूनतम पांच साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव होना जरूरी है।
- चालक का पुलिस चरित्र सत्यापन व आपराधिक इतिहास की जानकारी अनिवार्य।
- चालक का परिवहन नियम तोड़ने पर पूर्व में दो बार चालान हुआ है तो वह स्कूली वाहन चलाने के लिए अयोग्य माना जाएगा।
- अगर चालक का एक बार ओवरस्पीड, खतरनाक ढंग या फिर शराब पीकर वाहन चलाने में चालान हुआ है तो ऐसा चालक प्रतिबंधित रहेगा।
- बिना योग्य परिचालक के कोई स्कूल बस का संचालन नहीं करेगा।
- परिचालक की योग्यता केंद्रीय मोटरयान नियमावली के अनुसार होनी अनिवार्य है।
- जिन वाहनों का उपयोग छात्राओं को ले जाने में होता है, उसमें महिला सहायक का होना अनिवार्य है।
- स्कूली वाहन निर्धारित गति पर संचालित किए जाएं। स्पीड गवर्नर अनिवार्य है।
- निर्धारित संख्या से अधिक छात्र बिठाना प्रतिबंधित व स्कूल बैग रखने की समुचित व्यवस्था होना अनिवार्य।
- सुरक्षा के लिए बंद दरवाजा अनिवार्य। खुले दरवाजे वाले वाहन प्रतिबंधित हैं।
- चालक को बच्चों का नाम, पता, ब्लड ग्रुप, रूट प्लान व रुकने के प्वाइंट की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
- वाहन में फर्स्ट एड बाक्स व अग्निशमन यंत्र होना अनिवार्य है।
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