देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग में तबादलों का न्याय प्रक्रिया में फँसना एक बड़ी समस्या बन गया है। पहले एक भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी और अब एक रेंजर के तबादले पर हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाने से विभाग में हड़कंप मच गया है।
राजजात यात्रा के काम पर विवाद, ट्रांसफर आदेश पर स्टे
यह मामला बदरीनाथ वन प्रभाग के नंदप्रयाग रेंज से जुड़ा है, जहाँ वन क्षेत्राधिकारी हेमंत सिंह बिष्ट तैनात हैं। उन पर 2026 में प्रस्तावित नंदा देवी राजजात यात्रा के लिए वन क्षेत्र में होने वाले कार्यों का एस्टीमेट न भेजने का आरोप था, जिसके बाद उनका तबादला कर दिया गया। हेमंत बिष्ट ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने वन मुख्यालय के आदेश पर रोक लगा दी।
अपनी याचिका में बिष्ट ने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप गलत हैं। उन्होंने तर्क दिया कि डीएफओ ने उन्हें ₹5 लाख से कम के एस्टीमेट बनाने को कहा था, जबकि विभिन्न कार्यों के एस्टीमेट को इतने छोटे हिस्सों में बाँटना संभव नहीं था।
‘एस्टीमेट को टुकड़ों में बांटना संभव नहीं था’
इस मामले पर बदरीनाथ वन प्रभाग के डीएफओ सर्वेश दुबे ने बताया कि नंदा देवी राजजात यात्रा का 73 किलोमीटर का क्षेत्र उनकी डिवीजन में आता है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को काम का मौका देने और कार्य में तेजी लाने के इरादे से ही ₹5 लाख तक के एस्टीमेट माँगे गए थे। वहीं, वन महकमे में मानव संसाधन की जिम्मेदारी देख रही एपीसीसीएफ मीनाक्षी जोशी ने बताया कि न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जाएगा और इस संबंध में डीएफओ से जवाब माँगा गया है।
यह कोई पहला मामला नहीं है जब वन विभाग में तबादले पर कानूनी रोक लगी है। इसी महीने पंकज कुमार नामक एक भारतीय वन सेवा के अधिकारी के तबादले पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।



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