रामनगर कॉलेज में शराब की बोतलों को लेकर हंगामा, प्राचार्य और छात्रों के बीच हुई झड़प

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रामनगर: रामनगर महाविद्यालय परिसर में शराब की खाली बोतलें मिलने के बाद मंगलवार को छात्रों ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के एक पदाधिकारी ने प्राचार्य पर थप्पड़ मारने का गंभीर आरोप लगाया है, जबकि प्राचार्य ने छात्रों पर अपने कार्यालय में कूड़ा फेंकने और बोतलें उछालने का आरोप लगाया है।

मामले का विवरण:

मंगलवार को एबीवीपी के कॉलेज अध्यक्ष नितेश शर्मा के नेतृत्व में कुछ कार्यकर्ता राजकीय महाविद्यालय परिसर में तीन खाली शराब की बोतलें मिलने की शिकायत लेकर प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. मोहन चंद पांडे के पास पहुंचे। छात्र नेताओं का कहना था कि महाविद्यालय परिसर में इस तरह की आपत्तिजनक सामग्री मिलने से कॉलेज की गरिमा को ठेस पहुँच रही है और छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक माहौल पर इसका गलत असर पड़ रहा है।

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छात्रों का आरोप बनाम प्राचार्य का बयान:

नितेश शर्मा का आरोप है कि जब वे शिकायत लेकर प्राचार्य के पास पहुँचे तो प्राचार्य ने न सिर्फ उनकी बातों को अनसुना किया, बल्कि उन्हें थप्पड़ भी जड़ दिया। इसके बाद गुस्साए एबीवीपी कार्यकर्ताओं और छात्रों ने प्राचार्य के कार्यालय में ही नारेबाजी शुरू कर दी और धरने पर बैठ गए।

वहीं, पूरे मामले पर प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. मोहन चंद पांडे ने अपनी सफाई दी। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में इस समय परीक्षाएँ चल रही हैं और वे अपने कार्यालय में गोपनीय कार्य कर रहे थे। उन्होंने गार्ड को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी को भी कार्यालय के भीतर न आने दिया जाए। लेकिन, एबीवीपी कार्यकर्ता जबरन नारेबाजी करते हुए उनके कार्यालय तक पहुँच गए। प्राचार्य ने आरोप लगाया कि छात्रों ने उनके ऊपर शराब की खाली बोतलें फेंकी और कार्यालय में कूड़ा भी डाला।

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पुलिस और पूर्व छात्र नेताओं का हस्तक्षेप:

पूरे घटनाक्रम की जानकारी मिलते ही एसआई तारा सिंह राणा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुँचे और स्थिति को नियंत्रण में लेने की कोशिश की, लेकिन छात्र अपनी मांगों पर अड़े रहे। वे प्राचार्य के कार्यालय में ही कई घंटों तक धरने पर बैठे रहे, जिससे मामला लंबा खिंच गया। हालाँकि, इस बीच पूर्व छात्र नेताओं जैसे रोहित रावत, पीयूष जोशी, नीरज कंडारी, हीरा सिंह भंडारी आदि ने कॉलेज पहुँचकर मामले को शांत कराने में मदद की।

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यह घटना कॉलेज परिसर में अनुशासन और बाहरी तत्वों के प्रवेश को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है, जिसकी पुलिस द्वारा गहन जांच की आवश्यकता है।


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