बिंदुखत्ता के लिए वनाधिकार कानून का रास्ता, राजस्व गाँव का नहीं बेदखली का रास्ता : इंद्रेश मैखुरी

Forest rights law is the way for Bindukhatta, revenue village is not the way for eviction: Indresh Maikhuri

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• राजस्व गाँव की लड़ाई को भाजपा ने पहुंचाया भारी नुकसान : आनंद सिंह नेगी

• 6 अगस्त को “वनाधिकार कानून और बिंदुखत्ता राजस्व गांव का सवाल” विषय पर संगोष्ठी की जायेगी

राजू अनेजा, लाल कुआं। अखिल भारतीय किसान महासभा की नैनीताल जिला कार्यकारिणी की बैठक दीपक बोस भवन, बिंदुखत्ता में हुई।

बैठक को संबोधित करते हुए भाकपा माले उत्तराखण्ड राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि, “भाजपा सरकार बिन्दुखत्ता को वनाधिकार कानून के जरिये राजस्व गाँव बनाने की बात कर रही है जो कि संभव नहीं है. भाकपा माले के इस दावे के पीछे वनाधिकार कानून 2006 के वे प्रावधान हैं, जिनके तहत दावा धारकों को 13 दिसंबर 2005 से 75 वर्ष (तीन पीढ़ी) पूर्व के उस भूमि पर बसासत के प्रमाण सौंपने होंगे. यानी बिन्दुखत्ता वासियों को सन् 1930 से पूर्व उस भूमि पर बसे होने के प्रमाण अपने दावा पत्रों की पुष्टि के लिए सौंपने होंगे. ऐसा न कर पाने पर बिन्दुखत्ता वासी भूमि पर स्वामित्व अधिकार पाने का हक़ खो देंगे और वन भूमि में अतिक्रमणकारी घोषित होकर बेदखली के शिकार हो जाएंगे. वनाधिकार कानून के तहत दावा करने का अर्थ है बिन्दुखत्ता वासियों के लिए भूमि से बेदखली का रास्ता खोलना.”

कॉमरेड मैखुरी ने कहा कि, “पूरे राज्य में जिस तरह से भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर गरीबों को उजाड़ने की मुहिम चलाई है और उसके लिए मुख्यमंत्री ने स्वयं ही लैंड जेहाद जैसे सांप्रदायिक मुहावरे का इस्तेमाल किया है उससे इस सरकार की खत्तावासियो को विभाजित कर बेदखल करने की मंशा स्पष्टता से उजागर हो गई है। इसलिए बिंदुखत्ता की संघर्षशील जनता को भाजपा की धामी सरकार के मंसूबों को अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और एकता के बल पर ध्वस्त करना होगा।”

अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आंनद सिंह नेगी ने कहा कि, “यदि भाजपा सरकार को बिंदुखत्ता को वास्तव में राजस्व गांव बनाने की चिंता है तो इसके लिए राज्य सरकार को राजनीतिक निर्णय लेकर विधान सभा में प्रस्ताव पारित करना होगा और उसके बाद वन भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव विधिवत केंद्र के वन व पर्यावरण मंत्रालय को भेजना होगा. केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के बाद वन भूमि हस्तांतरण की कार्यवाही होगी और बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव बनाने का रास्ता साफ़ हो जाएगा. यह भाजपा की डबल इंजन सरकार में संभव था. भाजपा ने पिछले दो विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बिन्दुखत्ता को राजस्व गाँव का दर्जा दिलाने के नाम पर ही वोट मांगे और उनके प्रतिनिधि जीते भी. लेकिन डबल इंजन सरकार में इसके लिए जो राजनीतिक निर्णय भाजपा सरकारों को लेना था, उसे नहीं लिया गया. उल्टे भाजपा और उनके स्थानीय विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने बिन्दुखत्ता वासियों को वनाधिकार कानून की राह पर धकेलने की कोशिश कर राजस्व गाँव की लड़ाई को भारी नुकसान पहुंचाया है।”

बैठक में बिंदुखत्ता की जनता के बीच भाजपा द्वारा फैलाए जा रहे वनाधिकार कानून के भ्रम को दूर करने के लिए 6 अगस्त को “वनाधिकार कानून और बिंदुखत्ता राजस्व गांव का सवाल” विषय पर संगोष्ठी करने का निर्णय लिया गया।

बैठक की अध्यक्षता किसान महासभा के जिलाध्यक्ष भुवन जोशी ने व संचालन विमला रौथाण ने किया। बैठक में इनके अतिरिक्त डा कैलाश पाण्डेय, पुष्कर दुबड़िया, नैन सिंह कोरंगा, कमल जोशी, निर्मला शाही, धीरज कुमार, ललित जोशी, आंनद सिंह दानू आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।