आज चलेंगे लड्डू तो कल भांजी जाएंगी लाठियां, जानें क्यों खास है बरसाने की होली?

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रंगों का त्योहार होली भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की नगरी मथुरा, वृंदावन, बरसाने में खूब धूमधाम से मनाया जाता है. यहां पर होली 45 दिन तक मनाई जाती है. यहां पर फूलों से होली पर्व की शुरुआत होती है और यह लड्डुओं और लाठियों से होता हुआ रंग पर जाकर खत्म होता है.

लड्डुओं की होली में बरसाने से राधा रानी की सखियां निमंत्रण के रूप में गुलाल लेकर भगवान श्रीकृष्ण के घर नंदगांव में जाती हैं. यहां पर उन्हें होली खेलने का न्योता दिया जाता है. नंदगांव में लट्ठमार होली का निमंत्रण स्वीकारने के बाद श्रीजी मंदिर बरसाने में लड्डू मार होली का आयोजन होता है.

कैसे हुई लड्डू मार होली की शुरुआत

मान्यता है कि द्वापर युग में श्रीजी राधारानी के पिता वृषभानु के होली के न्योते को नंद बाबा ने स्वीकार कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने पुरोहितों के हाथों स्वीकृति पत्र भेजा था. इन पुरोहितों के स्वागत में लड्डू खाने को दिए गए थे. उसी समय बरसाने की गोपियां पुरोहितों को गुलाल फेंकने लगीं, तो पुरोहितों ने उनपर लड्डुओं की बारिश कर दी. इस होली के अगले दिन बरसाने में लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है. इस होली को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग बरसाने आते हैं.

कई टन लड्डुओं की होती है बारिश

ब्रह्मगिरि पर्वत पर स्थित श्रीलाड़ली जी मंदिर में 17 मार्च रविवार को कई टन लड्डुओं की बारिश लोगों पर की जाएगी. इसके दूसरे दिन भगवान श्रीकृष्ण के हंसी ठिठोली का जवाब लठामार होली में लाठियों से दिया जाएगा.

राधा रानी की होती है कृपा

लड्डुओं की होली को देखने के लिए देश ही नहीं पूरे विश्व से लोग आते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस होली में सैंकड़ों लड्डू लोगों के ऊपर फेंके जाते है, लेकिन हर किसी के हाथ में लड्डू नहीं आ पाता है. मान्यता है कि अगर किसी के हाथ साबुत लड्डू लग जाए तो उस पर राधारानी की असीम कृपा होती है और उसके जीवन में सुख व समृद्धि बनी रहती है.