हरिद्वार: उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद पहली बार किसी महिला आईएएस अधिकारी को आबकारी आयुक्त जैसा महत्वपूर्ण पद सौंपा गया है। 2016 बैच की आईएएस अधिकारी अनुराधा पाल ने इस पद पर नियुक्त होकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने हाल ही में अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
यह पद बीते शनिवार, 31 मई को उत्तराखंड के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और पूर्व आबकारी आयुक्त हरिचंद सेमवाल के रिटायरमेंट के बाद खाली हुआ था। उत्तराखंड राज्य के 25 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी महिला को आबकारी आयुक्त की जिम्मेदारी मिली है।
महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से महिलाओं को महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर नियुक्त करने की प्रक्रिया लगातार जारी है। इस कड़ी में अनुराधा पाल की नियुक्ति एक और मील का पत्थर है। इससे पहले, आईएएस राधा रतूड़ी को उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। वहीं, डीएम सोनिका सिंह को कुंभ मेला अधिकारी और रिद्धिम अग्रवाल को कुमाऊं आईजी की कमान सौंपी गई है। इसके अलावा, विधायक ऋतु खंडूड़ी उत्तराखंड की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष के रूप में नियुक्त की गई हैं। अब आबकारी विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग में आयुक्त के पद पर अनुराधा पाल की नियुक्ति हुई है।
संघर्षों से भरा रहा अनुराधा पाल का सफर
आईएएस अनुराधा पाल का जन्म हरिद्वार जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके पिता दूध बेचकर घर चलाते थे। अनुराधा ने हरिद्वार के जवाहर नवोदय विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चली गईं। उन्होंने जीबी पंत यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक) की डिग्री हासिल की और उसके बाद टेक महिंद्रा कंपनी में नौकरी शुरू की।
हालांकि, सिविल सेवा में जाने का सपना देखने वाली अनुराधा ने टेक महिंद्रा की नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। आर्थिक परेशानियों के बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और रुड़की के एक कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी भी की, ताकि यूपीएससी की तैयारी के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी निर्वहन कर सकें।
2016 में बनी थीं आईएएस अधिकारी:
अनुराधा ने वर्ष 2012 में यूपीएससी की परीक्षा के अपने पहले प्रयास में 451वीं रैंक हासिल की। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली में एक आईएएस अकादमी में दाखिला लिया और लगातार अपनी यूपीएससी की तैयारी और नौकरी के बीच संतुलन बनाते हुए कड़ी मेहनत की। आखिरकार, वर्ष 2015-16 में उन्होंने एक बार फिर यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की और देश की सर्वोच्च सेवाओं में शामिल हो गईं। अब उन्हें उत्तराखंड आबकारी विभाग में आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया है।












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