नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती पर राज्य सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया है। कोर्ट ने इस फैसले को ‘वैधानिक अधिकार के बिना’ और ‘अधिकारों का दुरुपयोग’ बताते हुए सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई। यह फैसला इन स्कूलों की प्रबंधन समितियों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया है।
पहले भी रद्द हो चुका है ऐसा ही आदेश
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में तर्क दिया कि राज्य सरकार ने 10 नवंबर 2022 को भी इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था, जिसे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 16 अगस्त 2023 को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि जब इसी आधार पर पहले प्रतिबंध रद्द किया गया था, तो सरकार दोबारा उसी तरह का आदेश जारी नहीं कर सकती।
राज्य सरकार सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती
अदालत ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार सीधे तौर पर भर्ती प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। उत्तराखंड स्कूल शिक्षा अधिनियम, 2006 के तहत भर्ती का अधिकार संबंधित प्रबंधन समितियों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिया गया है। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि पिछले पाँच वर्षों से भर्ती पर रोक के कारण इन स्कूलों में शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है।



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