जब-जब धरा पर अत्याचार बढ़ा, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ – प नीरज त्रिपाठी, गौलापार के वृद्धा आश्रम में आयोजित भीड़ में बह रही भक्ति की रसधारा

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लालकुआं: गौलापार के गंगा पर स्थित विरासत वृद्धा आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथा व्यास नीरज त्रिपाठी ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई। इस दौरान सुंदर भजनों की प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को झूमने को मजबूर कर दिया। देर साम कथा समापन के बाद आरती व प्रसाद वितरण किया गया।

उन्होने धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ा है, तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब धरा पर मथुरा के राजा कंस के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए, तब धरती की करुण पुकार सुनकर श्री हरि विष्णु ने देवकी माता के अष्टम पुत्र के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया। इसी प्रकार त्रेता युग में लंकापति रावण के अत्याचारों से जब धरा डोलने लगी तब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने जन्म लिया। उन्होने कहा कि श्री कृष्ण ने गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया। प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। इस मौके पर कथा आयोजक ममता गुणवंत, संगीता मेहरा, प्रकाश बिष्ट, हर्षवर्धन पांडे, आश्रम की व्यवस्थापक शशि सिंह, हेम पंत, पंकज पंत, धीरू, कृष्णा उपाध्याय, विशाल शर्मा, विनोद पाठक, माया तिवारी, दुर्गा गोस्वामी समेत तमाम लोग मौजूद थे।

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