शादीशुदा महिला की मोहब्बत में पिछले एक साल से काठगोदाम में नकली पुलिस वाला बनकर रहा था युवक, पकड़े जाने पर थानाध्यक्ष को धमकाते हुए बोला…

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हल्द्वानी,  महबूबा की मोहब्बत में एक युवक ने उत्तर प्रदेश पुलिस की वर्दी पहन ली और फर्जी पुलिस वाला बन गया। एक साल तक वह काठगोदाम में लोगों पर रौब गालिब करता रहा। जब असली पुलिस के हत्थे चढ़ा तो उनपर भी रौब गांठा। क्या एसपी और क्या कमिश्नर… काठगोदाम थानाध्यक्ष दीपक बिष्ट से बोला, ये सब मेरे दोस्त और अभी तुम्हारी बात करता हूं। हालांकि उसकी एक नहीं चली और नकली पुलिस वाले को असली पुलिस ने सलाखों के पीछे डाल दिया।

कृष्णा विहार कालोनी काठगोदाम निवासी कैलाश चंद्र पांडे पुत्र स्व.गणेश चंद्र पांडे ने जब इस मामले में काठगोदाम पुलिस को तहरीर दी तो आरोपी हत्थे चढ़ा। कैलाश ने पुलिस को बताया कि उन्होंने अपने भाई गिरीश चन्द्र पांडे के कहने पर मायापुर रूपपुर मिर्जापुर सहारनपुर उत्तर प्रदेश निवासी संजय कुमार पुत्र कली राम को कमरा किराए पर दिया था। संजय ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश पुलिस का कांस्टेबल है, लेकिन उसके रंग-ठंग ठीक नहीं थे। बीती 5 जनवरी को कैलाश ने उसे घर में घुसने से रोक दिया। इस वह गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी देने लगा।

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कैलाश की शिकायत पर काठगोदाम पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। थानाध्यक्ष दीपक बिष्ट ने बताया कि पूछताछ करने पर वह उत्तर प्रदेश पुलिस की हनक दिखाते हुए बड़े अधिकारियों का नाम लेकर डराने लगा। बोला, एसपी सहारनपुर से बात कराता हूं और कुमाऊं कमिश्नर उसके दोस्त हैं, लेकिन जब पुलिस उसके पुलिस प्रशिक्षण स्थल, प्रशिक्षण अवधि, वर्तमान पोस्टिंग आदि की जानकारी ली गई तो संजय कुमार के हाथ-पैर फूल गए। वह हाथ जोड़कर माफी मांगने लगा।

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उसने बताया कि वह पिछले एक साल से काठगोदाम क्षेत्र में रह रहा है। काठगोदाम में ही रहने वाली एक शादीशुदा महिला से उसके संबंध हैं और उसी की वजह से नकली वर्दी पहन कर पुलिस वाला बना। जांच में सामने आया कि वर्दी की आड़ वह लोगों से वसूली भी करता था। असल में वह एक एजेंसी में काम करता है। संजय के पास से वर्दी के अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस का फर्जी पहचान पत्र भी मिला है, जिसमें उसने खुद को कांस्टेबल दर्शाया है। संजय लोगों को बताता था कि वह मिर्जापुर थाने में तैनात है। थानाध्यक्ष दीपक बिष्ट ने बताया कि आरोपी के खिलाफ बीएनएस की धारा  204, 319(2), 33(3), 351(2), 352 के तहत मुकदमा दर्जकर किया गया है। 

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