देहरादून : राजधानी देहरादून में धोखाधड़ी का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। एक महिला ने अपने पति और उसकी प्रेमिका के खिलाफ क्लेमनटाउन थाने में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
मामला क्लेमनटाउन थाना क्षेत्र का है। एक व्यक्ति ने अपनी महिला मित्र के साथ मिलकर अपनी पत्नी के नाम पर मौजूद मकान को बैंक में बंधक रख दिया और उस पर लाखों रुपये का लोन ले लिया। पत्नी को इस धोखाधड़ी का पता तब चला जब उन्हें बैंक से लोन की किस्त जमा करने के लिए नोटिस भेजा गया। पीड़िता की शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी पति और उसकी महिला मित्र के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पूरी कहानी
इस्लाम नगर, टोली मंगलौर निवासी महिला ने शिकायत में बताया कि उनका निकाह शकुंतला विहार, थाना क्लेमेनटाउन निवासी एक शख्स के साथ हुआ था। उनके ससुर नसीम अहमद ने 18 अप्रैल 2019 को टर्नर रोड पर उनके नाम पर एक मकान खरीदा था। इस खरीद में महिला का भाई और पति गवाह थे। यह मकान महिला के नाम पर ही था। बाद में, 16 अक्टूबर 2023 को यह मकान खुशनुदा को बेच दिया गया था।
साल 2023 से महिला और उनके पति के बीच मतभेद शुरू हो गए, जिसके कारण वह अपने पिता के घर रह रही थीं। महिला का आरोप है कि उनका शौहर उन पर मकान बेचकर पैसे देने का दबाव बना रहा था। सितंबर 2024 में क्लेमेनटाउन क्षेत्र में उनका बैग गिर गया था, जिसमें उनका आधार कार्ड और बैनामा था।
बैंक नोटिस से हुआ खुलासा
10 फरवरी 2025 को महिला को बैंक से किस्त जमा करने का नोटिस आया। जब उन्होंने बैंक जाकर पता किया, तो उन्हें बताया गया कि उनके मकान पर लोन लिया गया है। जांच करने पर पीड़िता को पता चला कि उनके शौहर ने अपनी महिला मित्र को उनकी जगह दर्शाया और फर्जी हस्ताक्षर करके जून 2023 में 20.70 लाख रुपये का लोन ले लिया था।
पुलिस की कार्रवाई
थाना क्लेमनटाउन प्रभारी संदीप कुमार ने बताया कि एक महिला ने उसके नाम के मकान पर शौहर द्वारा फर्जी तरीके से लोन लेने की तहरीर दी है। तहरीर के आधार पर उसके शौहर और शौहर की महिला मित्र (निवासी मुजफ्फरनगर) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है।
इस मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कैसे बैंक ने इतनी बड़ी राशि का लोन बिना उचित सत्यापन के जारी कर दिया, खासकर जब दस्तावेज़ों पर फर्जी हस्ताक्षर का आरोप है। पुलिस की जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ पाएगी।
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