जोशीमठ पर जागी सरकार? केंद्र का पैनल करेगा स्टडी, CM धामी आज करेंगे दौरा

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जोशीमठ धंस रहा है. घरों-सड़कों में दरारें पड़ने और लोगों के अपने घरों को छोड़ने के बाद अब जा कर सरकार हरकत में आई है. केंद्र सरकार ने जोशीमठ में भू-धंसाव की घटना और उसके प्रभाव का ‘तेजी से अध्ययन’ करने के लिए एक पैनल का गठन किया है.

जल शक्ति मंत्रालय ने इस मामले में नोटिफिकेशन जारी किया है. वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज जोशीमठ जाएंगे और प्रभावित लोगों से मिलेंगे. इसके साथ ही वो अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे.

पैनल में कौन-कौन शामिल? पैनल में पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के प्रतिनिधि शामिल हैं. ये अधिकारी ‘तेजी से अध्ययन करेंगे और घटना के कारण और इसके प्रभाव की जांच करेंगे’ और तीन दिनों के अंदर NMCG (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा) को रिपोर्ट सौंपेंगे.

इसके अलावा, कमेटी भूमि के डूबने से मानव बस्तियों, इमारतों, राजमार्गों, बुनियादी ढांचे और नदी पर पड़ने वाले प्रभावों को भी कवर करेगी.

राज्य सरकार क्या कर रही? उत्तराखंड सरकार ने 5 जनवरी को जोशीमठ के खतरे वाले जोन में रह रहे सभी परिवारों को तुरंत वहां से निकालने का आदेश दिया है. राज्य सरकार ने घरों को नुकसान से विस्थापित हुए निवासियों के लिए एक अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाया है. इसके अलावा, राज्य सरकार उन्हें अगले छह महीनों के लिए किराए के लिए प्रति माह ₹4,000 का भुगतान करेगी.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 6 जनवरी को देहरादून में सरकार के आपदा, सिंचाई और गृह विभाग के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ-साथ गढ़वाल मंडल आयुक्त और चमोली जिलाधिकारी के साथ स्थिति का आकलन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की. उन्होंने वादा किया कि जोशीमठ में आबादी की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने वादा किया कि जोशीमठ में आबादी की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.

जोशीमठ में क्या हो रहा है? 5 जनवरी को, चमोली प्रशासन ने कहा कि जोशीमठ में कुल 561 प्रतिष्ठानों ने मिट्टी के धंसने के बाद दरारों की जानकारी दी. दरारों की सबसे ज्यादा जानकारी रविग्राम वार्ड से आई थी, जहां 153 भवनों में दरारें देखी गईं.

कहां है जोशीमठ? जोशीमठ, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. इसे बद्रीनाथ और फूलों की घाटी का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. जोशीमठ उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र-V में अस्थिर जमीन पर स्थित है.

जोशीमठ क्यों धंस रहा? जहां कभी ग्लेशियर थे, वहां हो रहा भारी, बेतरतीब निर्माण