राहुल गांधी की फिर फिसली जुबान बोले जो काले किसान के खिलाफ कानून आए थे, तीन कानून…देंखे वीडियो

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कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत अभी पंजाब में हैं। राहुल गाँधी का एक और वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों की बात कर रहे हैं।

राहुल गाँधी के इस छोटे से वीडियो क्लिप में कहते हुए सुना जा सकता है, “जो काले किसान के खिलाफ कानून आए थे, तीन कानून…।” इसमें मंच से राहुल गाँधी ‘काले कानून’ कहने के बजाय ‘काले किसान’ कहते नजर आए।

राहुल गाँधी का यह क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। राहुल गाँधी के इस बयान को लेकर केंद्र की सत्ताधारी पार्टी भाजपा के नेता उन पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया यूजर राहुल गाँधी मजाक बना रहे हैं।

मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश मंत्री राहुल कोठारी ने इस पर तंज कसते हुए कहा, “काले किसान !!! गोरा तो एक ही है ‘रॉबर्ट वाड्रा‘।”

गौरतलब है कि राहुल गाँधी की यात्रा के दौरान कई बार ऐसी बातें कहीं, जिसके कारण उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया। भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गाँधी ज्यादातर समय टीशर्ट में ही दिखे हैं। जब पत्रकारों ने सवाल पूछा तो वायनाड के सांसद ने उलटे पूछ दिया कि आपने स्वेटर क्यों पहनी है? जब पत्रकार ने ठंड को कारण बताया तो राहुल गाँधी बोले, “नहीं, इसका कारण यह नहीं है कि सर्दी है। इसका कारण यह है कि आप सर्दी से डरते हो। मैं सर्दी से डरता नहीं हूँ।”

इसी तरह एक अन्य पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए राहुल गाँधी ने कहा था, “राहुल गाँधी आपके दिमाग में है, मैंने मार दिया उसको, वो है ही नहीं, मेरे माइंड में है ही नहीं। गया वो, जिस व्यक्ति को आप देख रहे हो वो राहुल गाँधी नहीं है, वो आपको दिख रहा है। बात नहीं समझे आप। हिंदू धर्म को पढ़ो जरा, शिवजी को पढ़ो जरा। बात समझ में आ जाएगी।”

राहुल गाँधी के इसी तरह एक बयान में कहा था, “इस यात्रा में कुत्ते भी आए, लेकिन उन्हें किसी ने नहीं मारा। इसमें गाय भी आई… भैंस भी आई… सूअर भी आए। मैंने देखा। सब जानवर आए। सब लोग आए। लेकिन, यहाँ पर कोई नफरत नहीं दिखी। जैसा हमारा हिंदुस्तान है, वैसे ही ये यात्रा है। कोई नफरत नहीं, कोई हिंसा नहीं, कोई गलत सवाल नहीं।”

भगवद्गीता और महाभारत पर राहुल गाँधी का ज्ञान दिया था, “जब अर्जुन मछली की आँख में तीर मार रहा था, तो क्या उसने कहा कि इसके बाद मैं क्या करूँगा? कहा था क्या? नहीं कहा था न? उस कहानी का मतलब गीता में भी है – काम करो, फल की चिंता मत करो।”