उत्तराखंड में 15 हजार शिक्षकों पर संकट: नौकरी बचाने के लिए अब टीईटी पास करना जरूरी

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देहरादून: उत्तराखंड में 15 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर के हालिया फैसले ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को नौकरी में बने रहने और पदोन्नति के लिए अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले से खासकर वे शिक्षक परेशान हैं जो पिछले 20 से 25 सालों से पढ़ा रहे हैं और अब रिटायरमेंट के करीब हैं।


 

20-25 साल की नौकरी के बाद परीक्षा देना चुनौती

 

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शिक्षकों का कहना है कि इंटरमीडिएट या बीटीसी जैसी योग्यता के आधार पर वर्षों पहले नौकरी पाने वाले शिक्षकों के लिए अब इस उम्र में परीक्षा देना बेहद चुनौतीपूर्ण है। हल्द्वानी की 49 वर्षीय शिक्षिका गीतिका ने बताया कि वह 22 साल से पढ़ा रही हैं और अब नौकरी बचाने के लिए उन्हें परीक्षा देनी होगी, जो सही नहीं है। एक अन्य शिक्षिका ने कहा कि वर्षों की सेवा और अनुभव के बाद, सिर्फ एक परीक्षा के आधार पर उन्हें अयोग्य करार देना उनके भविष्य और आजीविका पर संकट खड़ा कर सकता है।

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शिक्षक नेता और विभाग का क्या है कहना?

 

इस फैसले को लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश है। शिक्षक नेता डीएस पडियार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने 15 हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में डाल दी है। उन्होंने सरकार से कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है, ताकि शिक्षकों को राहत मिल सके। वहीं, प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक अजय नौडियाल ने बताया कि विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रहा है और नियमों के तहत ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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